इसे किसी पहचान कि कोई ज़रुरत ही नहीं होता हैं। इसे किसी पहचान कि कोई ज़रुरत ही नहीं होता हैं।
यह प्रेम नहीं है ये जाल है, यह मन, मस्तिष्क की चाल है! यह प्रेम नहीं है ये जाल है, यह मन, मस्तिष्क की चाल है!
जीत लेंगे ,कोरोना को हम, दोस्तों ये खुदा तो नहीं है जीत लेंगे ,कोरोना को हम, दोस्तों ये खुदा तो नहीं है
अब इस कैंसर का इलाज का जुगाड़ हो नहीं रहा है अब इस कैंसर का इलाज का जुगाड़ हो नहीं रहा है
शीश हिमालय चरण में सागर विषधारी कैलाश यहाँ ! चन्दन है भूमि जिसकी मृगननी यकंचन भाल यहा शीश हिमालय चरण में सागर विषधारी कैलाश यहाँ ! चन्दन है भूमि जिसकी मृगननी यकंच...
हालातों को देख अब जीना सीख सा गया हूँ। हालातों को देख अब जीना सीख सा गया हूँ।